मुरुड जंजीरा किला ( MURUD JANJIRA FORT )

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मुरुड जंजीरा किला महाराष्ट्र राज्य के रायगड जिले में स्थित है। यह किला मुरुड नामक गाँव के समीप अरब सागर के किनारे स्थित है। जंजीरा किला एक समुद्री किला है और इसे भारत के सबसे मजबूत किलों में से एक माना जाता है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था और यह किला सिद्दी लोगों द्वारा बनवाया गया था, जो अफ्रीका के अबीसीनिया क्षेत्र से आए थे।

भारत देश में ऐसे कई प्राचीन किले हैं, जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. जी हां, आज हम आपको एक ऐसे रहस्य्मय किले के बारे में बताने जा रहे है. ये किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के तटीय गांव मुरुद में स्थित है, जिसे मुरुद जंजीरा किला के नाम से जाना जाता है। समुद्र तल से 90 फीट की ऊंचाई पर बने इस किले की खासियत ये है कि यह बीच समुद्र (अरब सागर) में बना हुआ है। जो दिखने में एकदम अदभुत लगता है।

मुरुद जंजीरा किला भारत के पश्चिमी तट का एक मात्र ऐसा किला है, जो कभी भी जीता नहीं जा सका। कहते हैं कि ब्रिटिश, पुर्तगाली, मुगल, शिवाजी महाराज, कान्होजी आंग्रे, चिम्माजी अप्पा और संभाजी महाराज ने इस किले को जीतने का काफी प्रयास किया था, लेकिन इनमें से कोई भी सफल नहीं हो सका। यही वजह है कि 350 साल पुराने इस किले को ‘अजेय किला’ कहा जाता है. मुरुद-जंजीरा किले का दरवाजा दीवारों की आड़ में बनाया गया है, जो किले से कुछ मीटर दूर जाने पर दीवारों के कारण दिखाई देना बंद हो जाता है। कहते हैं कि यही वजह रही होगी कि दुश्मन किले के पास आने के बावजूद चकमा खा जाते थे और किले में घुस नहीं पाते थे।

इस किले का निर्माण अहमदनगर सल्तनत के मलिक अंबर की देखरेख में 15वीं सदी में हुआ था। यह किला 40 फीट ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। बताया जाता है कि इसका निर्माण 22 साल में हुआ था। 22 एकड़ में फैले इस किले में 22 सुरक्षा चौकियां बानी हुई हैं। यहां सिद्दीकी शासकों की कई तोपें अभी भी रखी हुई हैं, जो हर सुरक्षा चौकी में आज भी मौजूद हैं। माना जाता है कि यह किला पंच पीर पंजातन शाह बाबा के संरक्षण में है। शाह बाबा का मकबरा भी इसी किले में है.

मुरुद-जंजीरा किले का दरवाजा दीवारों की आड़ में बनाया गया है। जो किले से कुछ मीटर दूर जाने पर दीवारों के कारण दिखाई देना बंद हो जाता है। यही वजह रही है कि दुश्मन किले के पास आने के बावजूद चकमा खा जाते थे और किले में घुस नहीं पाते होंगे।

किले की विशेषताएं

  1. निर्माण और संरचना: जंजीरा किला एक चट्टानी द्वीप पर स्थित है और इसका निर्माण बहुत ही मजबूती से किया गया है। किले की दीवारें और बुर्जें बहुत मोटी हैं, जिससे इसे बाहरी आक्रमणों से बचाया जा सकता था।

  2. द्वार: किले का मुख्य द्वार समुद्र की ओर है और इसे ‘दरवाजा’ कहा जाता है। इसके अलावा एक गुप्त द्वार भी है जिसे ‘धक्को दरवाजा’ कहा जाता है, जो आपात स्थिति में उपयोग किया जाता था।

  3. जल प्रबंधन: किले में मीठे पानी के तीन कुंड हैं, जो समुद्र के पानी से घिरे होने के बावजूद आज भी मीठा पानी उपलब्ध कराते हैं।

  4. तोपखाना: जंजीरा किले में कई विशाल तोपें स्थित हैं, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध हैं जैसे ‘कालाल बांगड़ी’, ‘चावरी’ और ‘लांडा कसाम’।

  5. इतिहास: जंजीरा किला कभी भी किसी आक्रमणकारी द्वारा जीता नहीं जा सका। इसे कई बार मराठों, पुर्तगालियों, और अंग्रेजों ने जीतने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे।

पर्यटन

आज के समय में मुरुड जंजीरा किला एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यहां पर्यटक नाव के माध्यम से पहुंच सकते हैं। किले की सुंदरता, उसकी ऐतिहासिक महत्व और समुद्र के बीच स्थित होने के कारण यह पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

कैसे पहुंचे

मुरुड गांव सड़क मार्ग से मुंबई और पुणे से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। निकटतम रेलवे स्टेशन रोहा है, जो मुरुड से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है।

मुरुड जंजीरा किला इतिहास, वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत मिश्रण है, जो इसे एक अनोखा पर्यटन स्थल बनाता है।

छत्रपति शिवाजी महाराज  और जंजीरा

मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज किलों का महत्व अच्छे से जानते थे लिहाज़ा उन्होंने भी जंजीरा किले पर पैर जमाने की कोशिश की छत्रपति शिवाजी महाराज ने जब जंजीरा पर हमला किया अहमदनगर की निजामशाही कमजोर हो चुकी थ इसलिए जंजीरा के सिद्दियों ने बीजापुर की आदिलशाही सल्तनत से हाथ मिला लिया बीजापुर की तरफ से फत्ते खां को जंजीरा का लीडर बनाया गया था फत्ते खां के अधीन 7 और किले थे, जिन्हें मराठा जीत चुके थे बाकी बचा जंजीरा

जंजीरा जीतने के शुरुआती अभियानों के फेलियर के बाद 1669 में छत्रपति शिवाजी महाराज  ने खुद जंजीरा पर हमले की अगुवाई की छत्रपति शिवाजी  महाराज ने फत्ते खां को एक सन्देश भेजा कि हम आपको मुआवजा देंगे, सम्मान देंगे और आपके साथ किसी भी तरह का गलत सलूक नहीं किया जाएगा फत्ते खां मान गए. लेकिन किले में एक तबके को उनका छत्रपति शिवाजी महाराज से हाथ मिलाना रास नहीं आया फत्ते खां के खिलाफ विद्रोह छिड़ गया उन्हें कैद कर लिया गया इसके बाद सिद्दियों ने किले पर अपना एकाधिकार जमा लिया और आदिलशाही के साथ रिश्ते तोड़ कर मुग़लों से हाथ मिला लिया. शिवाजी के खिलाफ सिद्दियों ने मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब से मदद मांगी दुश्मन का दुश्मन दोस्त की तर्ज़ पर औरंगज़ेब ने सिद्दियों से हाथ मिला लिया

इसके बाद औरंगज़ेब ने सिद्दियों की मदद के लिए अपनी फौज भेजी मराठा फौज को दो मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ी इसी के चलते जंजीरे पर कब्ज़े का प्लान फेल हो गया जंजीरा किले का महत्व देखते हुए औरंगज़ेब ने सिद्दियों के लीडर को अपना नेवल कमांडर बनाया और उसे याकूत खान की उपाधि से नवाज़ा जंजीरा पर मराठों ने एक बार फिर हमला किया साल 1671 में इस बार भी मायूसी हाथ लगीजंजीरा पर जीत का कोई रास्ता न मिलता देख छत्रपति शिवाजी महाराज ने जंजीरा से कुछ दूर पद्मदुर्ग नामक जगह पर एक किला बनाने की कोशिश की हालांकि जंजीरा से लगातार तोप के गोले दागे जा रहे थे, जिससे इस किले को बनाने में काफी दिक्कत आ रही थी

इस मुसीबत से लड़ने के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज ने फैसला किया कि वो नौसेना तैयार करेंगे छत्रपति शिवाजी महाराज समझ गए थे कि साम्राज्य चलाने के लिए नौसेना बहुत अहम है लिहाज़ा 20 जहाजों की एक फ्लीट तैयार कर उन्होंने मराठा नौसेना की शुरुआत की जंजीरा और मराठाओं के बीच अगली लड़ाई हुई साल 1676 में पेशवा मोरोपंत के नेतृत्व में मराठाओं ने जंजीरा पर चढ़ाई की कोशिश की पेशवा ने सोचा था सीढ़ियां लगाकर डायरेक्ट किले के दरवाज़े पर उतरा जाए लेकिन इससे पहले वो वहां पहुंचते, मुग़ल फौज ने एक बार फिर मराठा सैनिकों पर हमला कर दिया. इस तरह ये प्लान भी फेल हो गया छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद उनके बेटे संभाजी महाराज ने भी जंजीरा को जीतने की कोशिश की 1682 में उन्होंने समुद्र में पुल बनाने की कोशिश की लेकिन इसी बीच मुगलों ने रायगढ़ पर हमला कर दिया मुग़ल सरदार हसन अली ने 40 हज़ार की फौज के साथ रायगढ़ पर हमला कियाइसके चलते संभाजी को जंजीरा छोड़कर रायगढ़ की सुरक्षा के लिए वापस लौटना पड़ा और जंजीरा पर हमले की आख़िरी कोशिश भी फेल हो गई

इस किले में मीठे पानी की एक झील है। समुद्र के खारे पानी के बीच होने के बावजूद यहां मीठा पानी आता है। यह मीठा पानी कहां से आता है, यह अभी तक रहस्य ही बना हुआ है।

मुरुद-जंजीरा किले का दरवाजा दीवारों की आड़ में बनाया गया है, जो किले से कुछ मीटर दूर जाने पर दीवारों के कारण दिखाई देना बंद हो जाता है। कहते हैं कि यही वजह रही होगी कि दुश्मन किले के पास आने के बावजूद चकमा खा जाते थे और किले में घुस नहीं पाते थे।  

कलाल बांगडी तोफ

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